कुछ तुम भूलो, कुछ वो भूलें
गुज़री बातों को याद करो तो क्या मिलना है,
हर रोज ही तो इक बात नई से जी जलना है ।
कितने छाले फोड़ो गे, दिल कितना छोड़ो गे,
खुशियों की सौगात को तुम कितना मोड़ो गे,
जीने को हालात के संग ही तो चलना है ।
कुछ तुम भूलो, कुछ वो भूलें तो बात बनेगी,
ग़र थाम लो उसका हाथ, सुलभ हर राह कटेगी,
वर्ना ठोकर लगने से मुश्किल होगा संभलना ।