अपना अस्तित्व !
दो शब्द
मेरी तारीफ में ही
दिये होते
तो तुम्हारा
क्या चला जाता
आजकल तो
लोग दिखावे में ही
करते हैं विश्वास
दिखावे की जिंदगी
जीते हैं
और
दिखावे की ही
लेते हैं साँस
फिर कैसे
रहेंगे दिल पास-पास
सब अपने-आप में ही
सिमट गये हैं
दूसरों से तो हैं ही
स्वयँ से भी
विमुख हो गये हैं
हमारी सम्पूर्णता
स्वयं को ही पाने में
तो नहीं है
दूसरों को
साथ चलाने में भी है
तभी तो
हमें अपने अस्तित्व का
होगा भास
अपना 'मैं' तो
है अपने ही पास
ओरों का मैं भी तो
होगा फिर अपने पास !
1 Comments:
बहुत सही!!
बेहतरीन!!
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