सारा शहर वीराँ हो गया !
तान के चादर सोये रहे वो,
सारा शहर वीराँ हो गया ।
रश्क हमसे करते रहे वो,
अपना तो सारा जहाँ हो गया ।
उन्हे फुरसत न थी हमारे लिये,
हाल उनपे कैसे बयाँ हो गया ।
रफ्ता-रफ्ता कटे मुश्किल रस्ते,
फिर से काँटों का समाँ हो गया ।
वो तो जैसे थे वैसे ही रहे,
मैं जाने क्या से क्या हो गया ।
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