पहचान !
ऐ प्रभु
मैंने लाख
कोशिश कर ली
कि
कोई तो
तेरे दिये हुए
इस
नश्वर शरीर को चाहे
कोई तो
प्रकृति-प्रदत्त
मेरी
अच्छाइओं को सराहे
पर
लगता है
तेरे संसार में
नास्तिकों की तादाद
इतनी बढ़ गई है
कि
तेरी कुदरत को
सराहने वालों की
कमी पड़ गई है
पर
मैं फिर भी
इसी कोशिश में
लगा हूँ
कि
मेरे भीतर के
भगवान को
मेरे अंदर
तेरी पहचान को
कोई तो
पहचान पाये
कोई तो
पहचान पाये
1 Comments:
वाह बहुत खूब बहुत खूब। कोई तो पहचान पाए मेरे भीतर के भगवान को। बहुत आस्तिक हैं अभी।
Post a Comment
<< Home