कैसे करूँ मैं शुक्रिया !
कैसे
शुक्रिया करूँ मैं
उन लोगों का
जिन्हे मैं
न तो
समझ ही पाया
और न ही
झेल पाया
पर
अनजाने ही
उन्होने मुझको
दोस्तों,
दुश्मनों
एवँ
रिश्तेदारों
के रूप में
सही-गल्त में
फर्क करना
है सिखलाया
उन्होने ही तो
मुझे
पग-पग पर
फिर से
ठोकर खाने से
है बचाया
इसलिये
उन लोगों से ज्यादा,
जो हरदम
मेरा
सम्बल बने हैं,
ऐसे ही लोगों का
एहसानमंद
रहूँगा मैं
और
करता रहूँगा
उनका
सौ-सौ बार
शुक्रिया मैं !
शुक्रिया मैं !!
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