मैं अकेला ही भला था !
जब भी
तुम अकेले थे
मुझे
अपने पास ही तो पाया
फिर
भरी भीड़ में मुझे
कहो
क्यों कर भुलाया?
मैं आज तक
समझ नहीं पाया
समझ नहीं पाया कि
क्या ये
तुम्हारी ही
फितरत है
या फिर
दुनिया का
दस्तूर ही ऐसा है
चलो ये माना कि
दुनिया का
दस्तूर ही ऐसा है
तो तुम्ही कहो
जब भी मैं
अकेला पड़ूँ
तो
किसका हाथ पकड़ूँ
इससे अच्छा तो'
मैं
अकेला ही भला था
अकेला ही भला रहुँगा
कम से कम
स्वयँ को
स्वयँ के साथ तो
पा पाऊँगा
और
ठगे जाने के
एहसास से
मुक्त हो जाऊँगा!
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