गल्तफहमी!
ज्यादातर कोई
खुश
तभी रह पाता है
जब वो
गल्तफहमी में रहता है
गल्तफहमी
अपने बारे में
कि
लोग क्या सोचते हैं
उसके बारे में
गल्तफहमी
अपने बारे में
कि
वो क्या है
गल्तफहमी
रिश्तों के बारे में
कि
कोई किसी से
प्यार करता है
या
किसी पर मरता है
गल्तफहमी
किसी की
इमानदारी की
किसी की
वफादारी की
और न जाने
कैसी-कैसी
गल्तफहमियाँ
पाले बैठा है हर कोई
और
उन्ही में
खुश रहता है हर कोई
लेकिन जब
सच्चाई का
एहसास होता है
तो ज्यादा नहीं तो
थोड़ा तो
दुख होता है
वो अलग बात है
कि खुश रहने को
कोई
कोई और गल्तफहमी
पाल लेता है!
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