साथ चलो!
कौन बनेगा उनका अपना,
जो बस अपनी बाबत सोचें,
मैं तो खाली मैं ही होती,
हम में तो कितने मैं होते ।
साथ चलोगे दुनिया के,
तो दुनिया तेरे साथ चलेगी,
अकेले चलने वालों के संग,
दुनिया वाले कभी न होते ।
सोच है मेरी सबसे न्यारी,
ग़र सोचे ये दुनिया सारी,
तो जितने हैं रिश्ते-नाते,
तिनके-तिनके बिखरे होते ।
ग़र तुमको ऊपर उठना है,
नीचे भी तो देखो भाई,
चलना मुश्किल हो जाता,
ग़र धरती पे ये पाँव न होते ।
दर्द से दर्द मिला करता है,
खुशियाँ बाँटो खुशियाँ आयें,
फूल नहीं उगते हैं वहाँ पर,
जहाँ पे तुम हो काँटे बोते ।
1 Comments:
ग़र तुमको ऊपर उठना है,
नीचे भी तो देखो भाई,
चलना मुश्किल हो जाता,
ग़र धरती पे ये पाँव न होते ।
अद्भुत लेखन है.
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