बुरा मत मानना!
अगर मैं
ये कहूँ
कि मैं
किसी का
दोस्त नहीं
तो
बुरा मत मानना
उम्र के
इस पड़ाव पर
पहुँच कर
मुझे
ऐसा बनना ही पड़ा
ज़िंदगी के
टेढ़े-मेढ़े
ऊबड़-खाबड़
रास्तों ने
जो मुझे
सिखाया है
उससे शायद
यही
निचोड़ निकला है
कि
आज़ की दुनिया में
कोई किसी का नहीं
दोस्त होना तो
अलग बात है
इसलिये
मैंने भी
अपने बारे में ही
सोचना
शुरू कर दिया
अपनी ही
अपनी भावनाओं की
कद्र करने लग गया
नतीज़तन
मैं
अपने सिवा
किसी का
नहीं रहा
इसलिये किसी का
दोस्त भी
नहीं रहा
पर
इसके लिये तो
तुम
खुद जिम्मेदार हो
फिर मुझे दोष
क्यों देते हो!
2 Comments:
bhut khoob
bhut khoob
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