"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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"दिशा"
ऐ
ईसा मसीह
तुमने तो
सलीब से
लटक कर
मुक्ति पा ली थी
और
संसार को
एक दिशा दी थी
मैं तो
सलीब को
अपने काँधे पर
उठाये
भटक रहा हूँ
दिशाहीन
भला किसे
दे पाऊँगा
मैं दिशा
जब भी मैं
कोई ऐसा
प्रयास करता हूँ
तो
एक और कील
ठोंक दी जाती है
मेरे अवश शरीर में
और मैं
फिर से
दिशा भटक जाता हूँ!
बस
भटकता ही जाता हूँ!!
1 Comments:
yeshu masih sab ko disha dikhana,nice words.
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