वेलेंटाईन क्या प्यार का प्रतीक है?
प्यार तो
एक अनुभूति है
जो
धड़कनों में
बसती है
इसे केवल
महसूस
किया जाता है
न कि
सरेआम
प्रकट किया जाता है
प्यार
मन का
संबल है
ठहरे समुंदर की
हलचल है
इसमें
भावना की
लहर उठ कर
मन को
हिलोरे दे जाती है
पर
आजकल तो
प्यार को
एक तमाशा
बना दिया गया है
कोई तुम्हे
प्यार करे न करे
उसे इक फूल दे कर
वेलेंटाईन
बना दिया गया है
और
वेलेंटाईन के
संदेश
टीवी, इंटरनेट पर
दे कर
किसी की
इज्जत को ही
निशाना
बना दिया गया है
दस-दस फूल
दस-दस को
बाँट कर
हरेक को
वेलेंटाईन
बना दिया गया है
ग़र किसी से
प्यार है तो
तो है
उसके लिये
वेलेंटाईन का
तमाशा
क्यों
खड़ा करें
प्यार तो हर पल
हर क्षण है
क्यों किसी
खास दिन का
चयन करें
ग़र प्यार है
तो
प्रेमी का
हर दिन ही
तो
वेलेंटाईन है
इसलिये
आओ
भेड़चाल छोड़
अपनी संस्कृति
को ही
याद रखें
और
अपनी वेलेंटाईन
को
दिल में ही
आबाद रखें!
1 Comments:
आओ
भेड़चाल छोड़
अपनी संस्कृति
को ही
याद रखें
और
अपनी वेलेंटाईन
को
दिल में ही
आबाद रखें!
बहुत सार्थक पंक्तियाँ अनिल जी...वाह...लेकिन आज की पीढ़ी क्या आप की ये बात समझ पायेगी ?
नीरज
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