आवश्यकता!
क्यों हमेशा हम
साबित करना चाहते हैं
खुद को
जग के सामने
जो हम हैं
सो हैं
इसे साबित करने को
क्या हमें
कोई तदबीर चाहिये
हाँ
हम तो ये जानते ही हैं
भली-भांति
कि हम
अंदर से क्या
और
बाहर से क्या हैं
पर फिर क्यों
जो हम
वास्तव में हैं
वो नहीं लाना चाहते
दुनिया के सामने
हम तो बस
अपनी अच्छी छवि को ही
पेश करते हैं
दूसरों के सामने
चाहे अंदर से
कुछ भी हों
तो क्या ये
एक अहंतुष्टि है
या फिर
जग को
धोखा देने की कोशिश
तुम तो शायद
जानते ही होगे
पर
आज नही तो कल
तुम्हारी असलियत का
पता लग ही जायेगा
इस जग को
तो कैसे दिखाओगे
अपना मुँह जग को
या फिर
उसे भी
चिकनी-चुपड़ी बातों से
ढाँपने की
कोशिश करोगे
इससे तो
तुम्हारा असली रूप
और जग जाहिर होगा
तो क्यों न
वैसे ही रहो
जैसे तुम हो
और दुनिया को
निर्णय करने दो
कि तुम क्या हो
फिर
आवश्यकता नहीं रहेगी
तुम्हे भी
खुद को
साबित करने की!
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