सच्ची तस्वीर!
मैंने ख्वाबों में
जो तस्वीर देखी
वो आँख खुलते ही
धुंधला गई
मुझे समझ नहीं आई
जो अक्स
मेरा अंतर्मन बनाता है
वो आँख खुलते ही
क्यों टूट जाता है
शायद यही अंतर है
सच और झूठ में
अमल और सोच में
कुछ पाने के लिये
कर्म तो करना ही पड़ता है
केवल ख्वाब लेने से ही
काम नहीं चलता है
इसलिये उठ
कर्मठ हो कर
कर्म कर
मेहनत से न डर
मुश्किल से न डर
बस कर्म ही कर
कर्म ही कर
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