टूटी हुई जिंदगी!
जितनी बार भी
जोड़ना चाहा
इस टूटी हुई जिंदगी को
जिंदगी की लहर के साथ
कोई एक बार फिर
ठोकर मार कर चल दिया
न जाने क्यों
इस दुनिया के लोग
किसी की खुशी देख कर
खुश नहीं होते
क्यों हरेक की राह में
काँटें हैं बोते
बस यहीं से शुरू होती है
भाग-दौड़
और
इक-दूसरे को हराने के लिए
दाँव-पेचों की
तोड़-मरोड़
क्या सोचा है कभी?
क्या इसे ही जिंदगी कहते हैं!
कभी किसी का चैन
कभी किसी की खुशी
छीनने की
लगी रहे हमेशा उधेड़बुन
जिंदगी तो
नाम है जोड़ने का
किसी के दुखों का
रुख मोड़ने का
यहाँ तो जो भी आयेगा
एक दिन तो फनाँ होगा
पर नाम उसी का यहाँ होगा
जो कभी किसी के लिये मिटा होगा!
2 Comments:
पर नाम उसी का यहाँ होगा
जो कभी किसी के लिये मिटा होगा!
बहुत सुन्दर भाव . काश हम समझ पाएँ !
अनिल जी बहुत सुन्दर विचार, मुबारक , ये बाते अगर दुनिया मान ले तो जिन्दगी का रंग ही बदल जाएगा
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