"विफलता"
गल्तियों का
पुतला मान कर
अपना लेते मुझे
तो शायद
कोई खूबी
मिल ही जाती
तुम्हें अनजाने में
मुझमें
यूँ तो
कोई भी सम्पूर्ण नहीं होता
(शायद तुम भी नहीं)
पर
हरेक व्यक्ति
दूसरों की
कमियाँ ढूंढने
और उन्हें
उजागर करने में ही
व्यस्त है आजकल
शायद ये सोच कर
कि
इससे वो अपनी कमियाँ
दूसरों की
दृष्टि से छुपा पायेगा
पर क्या
स्वयं को
स्वयं से ही
छुपा पाने में
सफल हो पायेगा
अच्छा होता
अगर दूसरों में
कमियाँ ढूंढने के बजाय
हर कोई
अपनी कमियाँ
दूर कर पाता
तो कभी
जीवन में
विफल न होता
कभी न होता
5 Comments:
गल्तियों का
पुतला मान कर
अपना लेते मुझे
तो शायद
कोई खूबी
मिल ही जाती
Sach hee kahaa aapane..
विफलता नहीं
सफलता है यही
क्या खूब कही।
अच्छा होता
अगर दूसरों में
कमियाँ ढूंढने के बजाय
हर कोई
अपनी कमियाँ
दूर कर पाता
--काश!! ऐसा हो पाता!!
आपने बहुत अच्छी बात कही है ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर शिक्षा देती कविता ..
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