तुम्हारे
छलावे भरे स्पर्श से
मेरी हथेलियों पर
जो छाले हो गए हैं
उन्हे कैसे सहलाऊँ?
यह तुम ही बताओ
भावनाओं के दस्ताने भी
काँटों भरे हैं
उन्हे पहन कर भी
ये छाले कैसे छुपाऊँ??
यह तुम ही बताओ
मेरी विडम्बना तो यही है
कि मुझे
तुम्हारे दिये हुए
ज़ख्मों की वेदना से ही
मन को बहलाना है
तुम्हारी भावनाओं के
शूल-युक्त दस्तानों से ही
छालों को सहलाना है
यूँ ही जीना है!
यूँ ही मर जाना है!!
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