"मौत पर कुछ कविताएँ"
(1)
"तेरे साथ अवश्य आऊँगा"
ऐ मौत
तेरा सामना करने से
डरता नहीं हूँ मैं
डर कर
होगा भी क्या
जब तू
आ ही जायेगी
तो
स्वयँ ही
दोस्ताना हो जायेगा
तू क्या मुझे ले जायेगी
मैं स्वत: ही
तेरे आगोश में
समाँ जाऊँगा
डरता तो मैं
जीवन से हूँ
जो हर मोड़ पर
तेरा एहसास कराता है
और पल-पल
याद दिलाता है
तेरा वजूद
तेरे अघोषित आगमन का
इसलिये
ऐ मौत
तू तो
मेरी शक्ति है
जो पग-पग पर
जीवन से जूझने को
प्रेरित करती है
अत:
तू तो
मेरी मित्र हुई
और
मैं अंत तक
यह मित्रता
निभाऊँगा
चाहे तू चाहे
चाहे न चाहे
तेरे साथ
अवश्य जाऊँगा !
........contd.
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