"मेरी अभिव्यक्तियों में
सूक्ष्म बिंदु से
अन्तरिक्ष की
अनन्त गहराईयों तक का
सार छुपा है
इनमें
एक बेबस का
अनकहा, अनचाहा
प्यार छुपा है "
-डा0 अनिल चडडा
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एक और दोगला !
मेरी आँखों के आँसुओं को
केवल नमकीन पानी समझना
और, अपने आँसुओं को
खून के आँसुओं की संज्ञा देना
तुम्हारे दोगले स्वभाव का
परिचायक ही तो है
वगरना
मेरे जिस आघात से
तुम्हे चोट पहुँची
मुझे भी तो वैसे ही
तुम्हारे आघात से
अधिक नहीं तो
कुछ तो दर्द हुआ ही होगा
यदि तुम यह समझ पाते
तो
न तुम्हे दर्द होता
न मुझे होता
न तुम रोते !
न मैं रोता !!
- डा0अनिल चड्डा
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